ढूँढाड़ी बोली {Locust} राजस्थान GK अध्ययन नोट्स
राजस्थान के मध्य-पूर्व भाग में मुख्य रुप से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, टौंक में बोली जाती है। ढूँढाड़ी पर गजराती, मारवाड़ी एवं ब्…
राजस्थान के मध्य-पूर्व भाग में मुख्य रुप से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, टौंक में बोली जाती है। ढूँढाड़ी पर गजराती, मारवाड़ी एवं ब्…
अलवर एवं भतरपुर जिलों का क्षेत्र मेव जाति की बहुलता के कारण मेवात के नाम से जाना जाता है। अतः यहां की बोली मेवाती कहलाती है।…
यह बोली दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिलों में मुख्य रुप से बोली जाती है। यह मारवाड़ी के बाद राजस्थान क…
राजस्थान के पश्चिमी भाग में मुख्य रुप से मारवाड़ी बोली सर्वाधिक प्रयुक्त की जाती है। यह जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर और शेखावटी म…
भारत के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में कई बोलियाँ बोली जाती हैं। वैसे तो समग्र राजस्थान में हिन्दी बोली का प्रचलन है लेकिन…
राजस्थानी भाषा राजस्थान की मुख्य भाषा है। राजस्थानी भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान में भी भारत से सटे इलाकों में बोली जाती है। र…
1. राजस्थान के लोक वाद्य यंत्रों की श्रेणियाँ तार (तत्) वाद्य : एकतारा, भपंग, सारंगी, तंदूरा, जंतर, चिकारा, रावण हत्था, कमाय…
जयपुर शैली का युग 1600 से 1900 तक माना जाता है। जयपुर शैली के अनेक चित्र शेखावाटी में 18 वीं शताब्दी के मध्य व उत्तरार्द्ध म…
राजस्थानी चित्रकला को बूंदी व कोटा चित्रशैली ने भी अनूठे रंगों से युक्त स्वर्मिण संयोजन प्रदान किया है। इस शैली का विकास राव…
कुछ विद्वानों के अनुसार इस शैली का शुभारम्भ 1600 ई. में भागवत पुराण के चित्रों से मानते हैं। राग मेख मल्हार का 1606 ई. में च…