- भारत के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में कई बोलियाँ बोली जाती हैं। वैसे तो समग्र राजस्थान में हिन्दी बोली का प्रचलन है लेकिन लोक-भाषाएँ जन सामान्य पर ज़्यादा प्रभाव डालती हैं।
- जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने राजस्थानी बोलियों के पारस्परिक संयोग एवं सम्बन्धों के विषय में वर्गीकरण किया है। जार्ज ग्रियर्सन का वर्गीकरण इस प्रकार है :-
- 1. पश्चिमी राजस्थान में बोली जाने वाली बोलियाँ – मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढारकी, बीकानेरी, बाँगड़ी, शेखावटी, खेराड़ी, मोड़वाडी, देवड़ावाटी आदि।
- 2. उत्तर-पूर्वी राजस्थानी बोलियाँ – अहीरवाटी और मेवाती।
- 3. मध्य-पूर्वी राजस्थानी बोलियाँ – ढूँढाड़ी, तोरावाटी, जैपुरी, काटेड़ा, राजावाटी, अजमेरी, किशनगढ़, नागर चोल, हड़ौती।
- 4. दक्षिण-पूर्वी राजस्थान – रांगड़ी और सोंधवाड़ी
- 5. दक्षिण राजस्थानी बोलियाँ – मेवाड़ी, निमाड़ी आदि।
नरोतम स्वामी का वर्गीकरण इस प्रकार है
- 1. पष्चिमी राजस्थानी- मारवाड़ी
- 2. पूर्वी राजस्थानी – ढूढाड़ी
- 3. उत्तरी राजस्थानी – मेवाती
- 4. दक्षिणी राजस्थानी- मालवी
मोतीलाल मेनारिया के अनुसार राजस्थान की निम्नलिखित बोलियाँ हैं :-
- 1. मारवाड़ी – जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर व शेखावटी
- 2. मेवाड़ी – उदयपुर, भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़
- 3. बाँगड़ी – डूंगरपूर, बाँसवाड़ा, दक्षिण-पश्चिम उदयपुर
- 4. ढूँढाड़ी – जयपुर
- 5. हाड़ौती – कोटा, बूँदी, शाहपुर तथा उदयपुर
- 6. मेवाती – अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली (पूर्वी भाग)
- 7. ब्रज – भरतपुर, दिल्ली व उत्तरप्रदेश की सीमा प्रदेश
- 8. मालवी – झालावाड़, कोटा और प्रतापगढ़
- 9. रांगड़ी – मारवाड़ी व मालवी का सम्मिश्रण
राजस्थान GK नोट्स