रेडियोधर्मिता Radioactivity

रेडियोएक्टिव पदार्थ की उस मात्रा को एक बैकुरल (मात्रक) कहा जाता है जो प्रति सेकण्ड एक विघटन या विकरण का उत्सर्जन करती है। 1975 ई. के पूर्व रेडियोएक्टिवता की इकाई को क्यूरी कहा जाता था। किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ की वह मात्रा जो प्रति सेकेण्ड 3.70×1010 विघटन करती है, क्यूरी कहलाती है।

रेडियोएक्टिवता की खोज

सर्वप्रथम हेनरी बैकुरल ने प्रयोग करते हुए पाया कि यूरेनियम के निकट काले कागज में लिपटी फोटोग्राफी प्लेट काली पड़ गयी। इससे इन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यूरनियम से एक्स किरणों जैसी अदृश्य किरणे निकलती रहती है जिन पर ताप एवं दाब का प्रभाव नहीं पड़ता है। इन्हीं के नाम पर प्रारम्भ में इन किरणों को बैकुरल किरणें और बाद में रेडियोएक्टिव किरणें कहा जाने लगा।

मैडम क्यूरी व श्मिट ने स्वत: विघटन का गुण थोरियम में भी पाया। मैडम क्यूरी व पेरी क्यूरी ने पिचब्लैण्ड से यूरेनियम से 30 लाख गुने अधिक रेडियोएक्टिव तत्व रेडियम की खोज की। इसको पश्चात् मैडम क्यूरी ने पोलोनियम नामक रेडियोएक्टिव तत्व की खोज की। वर्तमान में लगभग 40 प्राकृतिक तथा अनेक कृत्रिम रेडियोएक्टिव तत्त्वों की खोज हो चुकी है।

 

रेडियोएक्टिव किरणें Radioactive Rays

1902 ई. में रदरफोर्ड ने रेडियोएक्टिव तत्व को सीसे के प्रकोष्ठ (Lead Chamber) में रखकर निकलने वाली किरणों का तथा विद्युत क्षेत्र से गुजर कर निकलने वाली किरणों का अध्ययन किया और इन्हें अल्फा (α) बीटा (β) गामा (γ) नाम से अभिहित किया गया।

 

अल्फा किरण

  1. ये धनावेशित होती हैं इन पर दो इकाई धन आवेश होता है। ये हीलियम नाभिक ही (He2+) होते हैं। इनका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु द्रव्यमान का चार गुना होता है।
  2. ये विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र में ऋणावेषित प्लेट की ओर मुड़ जाती है।
  3. इनका वेग 2.3 × 109 सेमी/सेकण्ड (प्रकाश के वेग का 1/10) होता है।
  4. द्रव्यमान अधिक होने के कारण गतिज ऊर्जा अधिक होती है।
  5. इनकी भेदन क्षमता, गामा एवं गीटा किरणों की अपेक्षा कम होती है। अत: 1 मिमी मोटी एल्यूमिनियम चादर को भेद नहीं पाती है।
  6. फोटोग्राफी प्लेट को अत्यधिक प्रभावित करती है।
  7. एल्फा किरणे कुछ पदार्थों से टकराकर स्फुरदीप्ति उत्पन्न करती है।
  8. गैसों को आयनीकृत करने की प्रबल क्षमता होती है ये बीटा किरणों की अपेक्षा 100 गुना व गामा की तुलना में 10,000 गुना आयनन क्षमता रखती है।

बीटा किरण

  1. ये तीव्र वेग से चलने वाली इलेक्ट्रान पुंज होती है। इन पर ऋणावेष होता है।
  2. फोटोग्राफी प्लेट पर एल्फा किरणों की अपेक्षा अधिक प्रभाव डालती है।
  3. इनकी भेदन क्षमता एल्फा किरणों से 100 गुना अधिक होती हैं।
  4. इनका वेग 79 × 1010 सेमी/सेकेण्ड (लगभग प्रकाश के वेग के बराबर) होता है।
  5. गैसों को आयनित करने का गुण होता है।
  6. कुछ पदार्थों से टकराने पर अल्फा किरणों से कम स्फुरदीप्ति उत्पन्न करती है।

गामा किरण

  1. गामा किरणें विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं। इनकी तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है।
  2. ये आवेश रहित होने के कारण विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र में विक्षेपित नहीं होती हैं।
  3. ये फोटोग्राफी प्लेट पर एल्फा एवं बीटा किरणों की अपेक्षा अधिक प्रभाव डालती है।
  4. इनकी भेदन क्षमता अधिक होती है, ये 100 सेमी मोटी एल्यूमिनियम चादर को भी भेद सकती है।
  5. इनका वेग, प्रकाश के वेग बराबर होता है।

कृत्रिम रेडियोएक्टिवता

कृत्रिम विधियों द्वारा स्थायी तत्वों को रेडियोएक्टिव तत्वों में परिवर्तित करना, कृत्रिम रेडियोएक्टिव कहलाता है। सर्वप्रथम 1934 ई. में आइरीन क्यूरी (मैडम क्यूरी की पुत्री) व उनके पति एफ. जोलियोट ने कृत्रिम रेडियोएक्टिवता की खोज की थी।

कृत्रिम रेडियोएक्टिव तत्वइनका उपयोग
आयोडीन–131थाइरॉयड रोग में
फास्फोरस-अस्थि रोगों में
कोबाल्ट-60मस्तिष्क ट्यूमर एवं कैंसर के इलाज में
सोडियम-24रक्त प्रवाह का वेग नापने में

नाभिकीय विघटन Nuclear Decay

किसी तत्व के परमाणु नाभिक के विघटित होने को नाभिकीय विघटन कहते हैं। रेडियोएक्टिव तत्वों में नाभिकीय विघटन स्वत: होता है जबकि अन्य तत्वों में तीव्रगामी कणों की बौछार कराके कृत्रिम रुप से नाभिकीय विघटन कराया जाता है।

नाभिकीय विघटन के प्रकार

एल्फा कण या हीलियम (He) नाभिक के उत्सर्जन की प्रक्रिया को एल्फा विघटन कहते हैं। एल्फा कण में दो प्रोटान तथा दो न्यूट्रान होते हैं, अत: किसी नाभिक से एल्फा कण के उत्सर्जन से उसके द्रव्यमान व आवेश में दो की कमी होती है अर्थात् तत्व के परमाणु क्रमांक में दो तथा भार में चार अंकों की कमी हो जायेगी। कणों का विघटन उन भारी नाभिकों में होता है जहां प्रोटान तथा नाभिक को बीच का विद्युत स्थैतिक प्रतिकर्षण बल बहुत अधिक होता है। इस क्रिया में ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा गतिज के रुप में परिवर्तित हो जाती है।

रेडियोएक्टिव तत्वसंकेतअर्द्ध आयु
पोलोनियम-21284Po2123×10-7 सें.
ब्रोमीन-8035Br8018 मि.
ब्रोमीन-8235Br8235.9 घंटा
सल्फर-3516S15867 दिन
कोबाल्ट-6027CO605.2 वर्ष
हाइड्रोजन-31H312.26 वर्ष
यूरेनियम-23592U2357.04×108 वर्ष
  1. बीटा (β) विघटन: यह ऋणावेषित इलेक्ट्रान कण है, अत: इसके विघटन के पश्चात् नाभिक का परमाणु क्रमांक एक यूनिट बढ़ जाता है परन्तु परमाणु द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है। इस प्रक्रिया में समभारी (Isobars) उत्पन्न होते हैं। इस प्रक्रिया में नाभिक का द्रव्यमान बढ़ रहा है, अतः आइंसटीन के सिद्धान्त के अनुसार द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित होगा और ऊर्जा उत्पन्न होगी।
  2. गामा विघटन (γ) विघटन: यह विद्युत चुम्बकीय विकिरण है, जो नाभिकीय आवेश के पुनर्वितरण से उत्पन्न होती है। गामा किरणे ऊर्जा फोटॉन होती हैं। परन्तु गामा किरणों की तरंगदैर्ध्य, फोटानों कीतरंगदैर्ध्य से काफी छोटी होती हैं। गामा कणों के उत्सर्जन से नाभिक के आवेश तथा द्रव्यमान में कोई परिवर्तन नहीं होता परन्तु इलेक्ट्रानिक विन्यास बदल जाता ह।

वर्ग या समूह विस्थापन नियम

जब रेडियोएक्टिव तत्व के परमाणु में से एक अल्फा (α) कण निकलता है तो नये परमाणु का परमाणु भार, पहले परमाणु से 4 इकाई कम हो जाता है तथा इसका परमाणु क्रमांक, पहले से 2 इकाई कम हो जाता है। ऐसे में निर्मित तत्व का आवर्त सारणी में स्थान, पूर्व की अपेक्षा दो स्थान बांयी ओर चला जाता है।

जब रेडियोएक्टिव तत्व के परमाणु में से एक बीटा (β) कण निकलता है तो नये परमाणु के आवेश (परमाणु क्रमांक) में एक इकाई की वृद्धि हो जाती है बीटा कण का भार नगण्य होता है, अतः नये परमाणु भार में कोई परिवर्तन नहीं होता है। आवर्त सारणी में नया परमाणु एक स्थान दायीं ओर चला जाता है।

अर्द्ध आयु Half Life Period

किसी रेडियोएक्टिव तत्व की प्रारम्भिक मात्रा का आधा भाग विघटित होने में जितना समय लगता है, उसे तत्व की अर्द्ध आयु कहते हैं। इसे [latex]4\frac { 1 }{ 2 }[/latex] से प्रदर्शित किया जाता है। रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्ध आयु कुछ सेकेण्डों से लेकर लाखों वर्षों तक हो सकती है। कुछ तत्वों की अद्ध आयु निम्नवत् है-

जीवाश्मों तथा मृत पेड़ पौधों आदि की आयु का अंकन (Dating) कार्बन के द्वारा तथा पृथ्वी व पुरानी चट्टानों आदि की आयु का अंकन, यूरेनियम के द्वारा किया जाता है।

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