उड़द, मूंग, एवं मसूर Black gram, Mung bean and Lentil
उड़द, मूंग, एवं मसूर Black gram, Mung bean and Lentil
- उड़द Black Gram- Vigna mungo
- मूंग Mung Bean- Vigna radiata
- मसूर Lentil- Lens culinaris
ये सभी प्रमुख दलहन फसलें हैं। इनमें से पहली दो खरीफ की फसलें हैं, जिन्हें कपास, ज्वार, मक्का और मोटे अनाजों के साथ उगाया जाता है। प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों में गन्ना और धान की खेती के बाद उर्वरता प्राप्ति के लिए इन फसलों की खेती की जाती है- मसूर रबी फसल है और जौ तथा सरसों के साथ उपजाया जाता है। ये दालें हल्की दोमट, जलोढ़, काली या लाल मिट्टी आदि में वर्षा वाले क्षेत्रों में उत्पादित की जाती हैं।
दलहन: अरहर Pulses: Pigeon Pea- Cajanus cajan
चना के बाद अरहर प्रमुख दलहन फसल है। इस फसल का उत्पादन शुष्क फसल के रूप में ज्वार, बाजरा, रागी आदि खाद्यान्नों के साथ किया जाता है।
अरहर की कृषि उष्णाद्र एवं शुष्क दोनों प्रकार की जलवायु में होती है। जून-जुलाई में वर्षा के बाद सामान्यतः खरीफ के मौसम में अरहर की कृषि होती है। सूर्य की उपस्थिति वाला मौसम अरहर में जब फूल निकलता है और फल पक रहा होता है तब उपयुक्त माना जाता है।
अरहर के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडीशा, बिहार, तमिलनाडु और गुजरात।
दलहन: चना Pulses: Chickpea- Cicer arietinum
शाकाहारी भोजन में दालें प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। दलहन फसलों के पौधों की एक और विशेषता यह होती है कि इनकी जड़ों में उपस्थित कुछ विशेष तत्व भूमि की उर्वरता बनाए रखते हैं और वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को अपनी ओर खींचते हैं। भारत में दालों की प्रति हेक्टेयर उपज-क्षमता बहुत ही कम है और यह मानसून पर निर्भर करता है। दालों की खेती उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में होती है और बहुत कम ही ऐसी किस्में हैं, जिनकी उत्पादक- क्षमता अधिक है।
चना
यह एक प्रमुख दलहन फसल है, जो कुल दलहन-क्षेत्र के एक-तिहाई क्षेत्र में उत्पादित होता है और कुल दलहन फसल में इसकी भागीदारी 40 प्रतिशत की है। मैदानी क्षेत्र में, सिंचाई-रहित क्षेत्र में साधारणतः यह एक रबी फसल है। उत्तरी भारत में सम्पूर्ण भारत का लगभग 90 प्रतिशत चना-उत्पादन-क्षेत्र है और कुल चने का 95 प्रतिशत उत्पादन इन्हीं क्षेत्रों में होता है।
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र मुख्य चना-उत्पादक राज्य हैं। चने की खेती सामान्यतः शुष्क फसल के रूप में रबी के मौसम में होती है। बुआई एवं फली लगने के समय वर्षा चने की फसल के लिए बहुत ही हानिकारक होती है।
चने का उत्पादन पृथक् एवं मिश्रित कृषि के रूप में भी होता है। मिश्रित कृषि के रूप में इसे गेहूं, जौ, सरसों आदि के साथ उपजाया जाता है। इसके खेत का निर्माण ठीक उसी प्रकार किया जाता है, जिस प्रकार गेहूं के लिए। चने की फसल की महत्वपूर्ण किस्में हैं- जी. 130, एच. 208, एच. 355, टी. 3, आर.एस. 10, चफ्फा, अन्नगिरि आदि।