1. 84 खम्बों की छतरी
- बूंदी के देवपुरा गांव के निकट स्थित है
- इसका निर्माण राव अनिरुद्ध सिंह ने अपने भाई देवा की याद में 1740 में कराया था
- यह तीन मंजिला छतरी 84 खम्भों पर स्थित है
- इस छतरी के मध्य, शिवलिंग है
2. मुसी रानी की छतरी
- मुसी रानी की छतरी अलवर के महल के पास सरोवर के किनारे स्थित है
- मुसी रानी की छतरी का निर्माण महाराजा बख्तावरसिंह एवं उनकी रानी मूसी की याद में विनयसिंह ने करवाया था
- इसकी निचली मंजिल लाल पत्थर एवं उपरी मंजिल सफ़ेद पत्थर से बनी है
- यह 19वीं सदी के राजपूत स्थापत्य का एक नमूना है
- इसे 80 खम्भों की छतरी के नाम से भी जाना जाता है
3. गैटोर की छतरियाँ
- गैटोर की छतरियाँ जयपुर के पास गैटोर में स्थित है
- यह छतरियां पंचायन शैली में बनी है
- यह जयपुर के शाही शमशान स्थल है, जहाँ जयपुर के राजाओं की छतरिया है
- यह छतरियाँ, सवाई जयसिंह से प्रारम्भ होती है
- यहाँ जयपुर के सभी राजाओं की छतरियों है, सिवाय सवाई ईश्वर सिंह के जिनकी छतरी चन्द्रमहल (सिटी पैलेस) में है
4. सवाई ईश्वर सिंह की छतरियाँ
- सवाई ईश्वर सिंह की छतरियाँ, चन्द्रमहल (सिटी पैलेस) के जयनिवास उद्यान में स्थित है
- इसका निर्माण सवाई माधोसिंह ने करवाया था
5. जसवंत थड़ा
- जोधपुर दुर्ग मेहरानगढ़ के पास ही सफ़ेद संगमरमर का एक स्मारक बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते है।
- इसे सन 1899 में जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह जी (द्वितीय)(1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था।
- जसवंत थड़ा जोधपुर राजपरिवार के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये स्थान है ।
- जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी व महाराजा हनवन्त सिंह जी के स्मारक बने हुए हैं।
6. मंडोर की छतरिया
- मंडोर (जोधपुर) में जसवंत-II के पूर्व के शाशकों की छतरियां है
- यहाँ सबसे बड़ी छतरी अजित सिंह की है
7. महासतिया
- महासतिया उदयपुर में आहड़ नाम की जगह पर है
- महाराणा प्रताप के बाद बनने वाले राजाओं की छतरिया यहाँ पर है
- यहाँ पहली छतरी महाराणा अमरसिंह की है
8. देवी कुण्ड की छतरियाँ
- यह बीकानेर के शाही शमशान स्थल है, जहाँ बीकानेर के राजाओं की छतरिया है
- कल्याण सागर के किनारे स्थित इन छतरियों में रायसिंह एवं बीकाजी की छतरियाँ प्रमुख है
9. केसर बाग की छतरियाँ
- केसर बाग की छतरियाँ बूंदी में स्थित है
- यह बूंदी के शाही शमशान स्थल है, जहाँ बूंदी के राजाओं की छतरिया है
10. अन्य प्रमुख छतरियां
- राणा प्रताप की छतरी = चावंड के निकट बाड़ोली गॉव में
- चेतक की समाधी = हल्दीघाटी के निकट बलीचा गांव में
- रैदास की छतरी = चित्तौड़गढ़ दुर्ग में
- मामा भांजा की छतरी = मेहरानगढ़ दुर्ग में
- उड़ना राजकुमार की छतरी = कुम्भलगढ़ दुर्ग में
- दुर्गादास की छतरी = उज्जैन के निकट शिप्रा नदी के तट पर
- 32 खम्बों की छतरी = रणथम्भोर दुर्ग में, जैतसिंह की याद में
- बोहरा भगत की छतरी = करौली के कैलादेवी मंदिर के पास
- मूमल की मेढ़ी = लोद्रवा में काक नदी के तट पर, राजकुमारी मूमल (भाटी वंश) की याद में
- नटनी का चबूतरा = पिछोला झील के किनारे, उदयपुर में
- जोगीदास की छतरी = उदयपुर वाटी (झुंझुनू) में, भित्तिचित्रण के लिए प्रसिद्ध
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