- पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम, तालुका और जिला आते हैं। भारत में प्रचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं।
- पंचायत राज व्यवस्था को मज़बूत बनाने की सिफ़ारिश करने के लिए 1957 में बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में ग्रामोद्धार समिति का गठन किया गया। इस समिति ने गाँवों के समूहों के लिए प्रत्यक्षतः निर्वाचित पंचायतों, खण्ड स्तर पर निर्वाचित तथा नामित सदस्यों वाली पंचायत समितियों तथा ज़िला स्तर पर ज़िला परिषद् गठित करने का सुझाव दिया गया।
- मेहता समिति की सिफ़ारिशों को 1 अप्रैल, 1958 को लागू किया गया और इस सिफ़ारिश के आधार पर राजस्थान राज्य की विधानसभा ने 2 सितंबर, 1959 को पंचायती राज अधिनियम पारित किया, और इस अधिनियम के प्रावधानों के आधार पर 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर ज़िले में पंचायती राज का उदघाटन किया गया। इसके बाद 1959 में आन्ध्र प्रदेश, 1960 में असम, तमिलनाडु एवं कर्नाटक, 1962 में महाराष्ट्र, 1963 में गुजरात तथा 1964 में पश्चिम बंगाल में विधानसभाओं के द्वारा पंचायती राज अधिनियम पारित करके पंचायत राज व्यवस्था को प्रारम्भ किया गया।
- संविधान के अनुच्छेद 40 में राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही संविधान की 7वीं अनुसूची (राज्य सूची) की प्रविष्टि 5 में ग्राम पंचायतों को शामिल करके इसके सम्बन्ध में क़ानून बनाने का अधिकार राज्य को दिया गया है।
- 1993 में संविधान में 73वां संशोधन करके पंचायत राज संस्था को संवैधानिक मान्यता दे दी गई है और संविधान में भाग 9 को पुनः जोड़कर तथा इस भाग में 16 नये अनुच्छेदों (243 से 243-ण तक) और संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़कर पंचायत के गठन, पंचायत के सदस्यों के चुनाव, सदस्यों के लिए आरक्षण तथा पंचायत के कार्यों के सम्बन्ध में व्यापक प्रावधान किये गये हैं।
- अशोक मेहता समिति का गठन दिसम्बर, 1977 ई. में अशोक मेहता की अध्यक्षता में पंचायती राज व्यवस्था में कमियाँ को दूर करने हेतु गठन किया गया था लेकिन इस समिति की सिफ़ारिशों को अपर्याप्त माना गया और इसे अस्वीकार कर दिया गया।
- 73वें संशोधन अधिनियम, 1993 में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं: एक त्रि-स्तरीय ढांचे की स्थापना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या मध्यवर्ती पंचायत तथा जिला पंचायत), ग्राम स्तर पर ग्राम सभा की स्थापना, हर पांच साल में पंचायतों के नियमित चुनाव, अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण, महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण
ग्राम सभा किसी एक गांव या पंचायत का चुनाव करने वाले गांवों के समूह की मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों से मिलकर बनी संस्था है। गतिशील और प्रबुध्द ग्राम सभा पंचायती राज की सफलता के केंद्र में होती है। - 74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम: 22 दिसम्बर, 1992 को लोकसभा द्वारा तथा 23 दिसम्बर, 1992 को राज्यसभा द्वारा पारित और 20 अप्रैल, 1993 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत एवं 1 जून, 1993 से प्रवर्तित 74वें संविधान संशोधन द्वारा स्थानीय नगरीय शासन के सम्बन्ध में संविधान में भाग 9-क नये अनुच्छेदों (243 त से 243 य छ तक) एवं 12वीं अनुसूची जोड़कर निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं जससे प्रत्येक राज्य में नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद् तथा नगर निगम का गठन किया जाएगा। नगर पंचायत का गठन उस क्षेत्र के लिए होगा, जो ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा है। नगर पालिका परिषद् के सम्बन्ध में छोटे नगरीय क्षेत्रों के लिए किया जाएगा, जबकि बड़े नगरों के लिए नगर निगम का गठन होगा।
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