- परमार वंश मध्यकालीन भारत का एक राजवंश एवं परमार गोत्र सुर्यवंशी राजपूतों में आता है।
- राजस्थान इस राजवंश का अधिकार प्रतिहारों के पतन के साथ-साथ और बढ़ा था ।
- परमार वंश की अनैक शाखाओं में आबु के परमार एवं मालवा के परमार प्रमुख हैं
- भोज परमार मालवा के ‘परमार’ अथवा ‘पवार वंश’ का नौवाँ यशस्वी राजा था। उसने 1018-1060 ई. तक शासन किया। उसकी राजधानी धार थी। भोज परमार ने ‘नवसाहसाक’ अर्थात ‘नव विक्रमादित्य’ की पदवी धारण की थी।
- भोज स्वयं एक विद्वान था और कविराज कहलाया, उनके बारे में जाता है कि उन्हें धर्म, खगोल विद्या, कला, कोश रचना, भवन निर्माण, काव्य, औषधशास्त्र आदि विभिन्न विषयों पर पुस्तकें लिखीं, जो अब भी वर्तमान हैं।
- परमार वंश की एक शाखा आबू पर्वत पर चंद्रावती को राजधानी बनाकर, 10वीं शताब्दी के अंत में 13वीं शताब्दी के अंत तक राज्य करती रही एवं एक ने जालोर (भीमनाल) में 10वीं शताब्दी के अंतिम भाग से 12वीं शताब्दी के अंतिम भाग तक राज्य किया।
- 1305 में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी ने मालवा को अपनी सल्तनत में शामिल कर लिया, इसके साथ ही परमार राजवंश भी क्षीण हो गया
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