- वस्त्र उद्योग: वस्त्र उद्योग राजस्थान का एक प्रमुख उद्योग है और यह अपने अगुवर्ती और परवर्ती संपर्क नेटवर्क के कारण व्यापक प्रतियोगी बढ़त हासिल किए हुए है। राज्य में कच्ची सामग्री एवं प्रशिक्षित श्रम की भारी उपलब्धता के कारण वस्त्र उद्योग को भारी बढ़ावा मिला है। राजस्थान को पॉलिस्टर विस्कोस यार्न एवं सिंथेटिक सूटिंग मेटेरियल और सस्ते व हल्के कपड़े के उत्पादन में अग्रणी स्थान हासिल है। भीलवाड़ा सूटिंग फैब्रिक्स एवं यार्न के उत्पादन के मामले में देश के सबसे बड़े केंद्र के तौर पर उभरा है।
- रत्न एवं आभूषण उद्योग: भारत के कुल निर्याता में रत्न एवं आभूषण का योगदान 17 फीसदी है और राजस्थान का इस निर्यात में खास योगदान है। जयपुर देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं गतिशील रत्न एवं आभूषण कारोबार केन्द्रों में से एक है। करीब 300 वर्ष पुराना जयपुर रंगीन रत्नों की कटिंग एवं पॉलिशिंग के सबसे बड़े वैश्विक ठिकानों में से एक है।
- वाहन उद्योग: वाहन निर्माण केंद्र के तौर पर राजस्थान का उदय 1982 में तब हुआ जब अशोक लीलैंड ने अलवर में ट्रक चेचिस असेंबली संयंत्र की स्थापना की। आज राजस्थान तेजी से प्रमुख वाहन निर्माण केंद्र के रूप में तब्दील होता जा रहा है, जहां भिवाड़ी, नीमराना और अलवर जिले का पथरेडी इलाका 100 से अधिक वाहन एवं वाहन कल-पुर्जा निर्माण कंपनियों से लैस है।
- ग्लास एवं सिरामिक उद्योग: राजस्थान में सिरैमिक (मृत्तिका) सामग्रियों के खनन की समृद्ध परंपरा रही है। कोलायत में बाॅल क्ले और फायर क्ले, बूंदी एवं दूसरे स्थानों पर सिलिका सैंड, बीवर एवं राजस्थान मे फेल्डस्पार, नागौर, गंगानगर एवं बीकानेर में जिप्सम, नीम का थाना में चायना क्ले, गोटान में चूना-पत्थर, दौसा में टैल्कम, भीलवाड़ा, अलवर और उदयपुर में डोलोमाइट पाया जाता है। इन सामग्रियों की क्वालिटी विश्वस्तरीय है। शीशा एवं सिरैमिक उद्योग के लिए जरूरी तकरीबन सभी सामग्रियां राजस्थान में पाई जाती हैं। देश में उत्पादित 70 फीसदी से अधिक क्रोकरी का स्रोत राजस्थान है। वर्तमान में राज्य में करीब 500 सिरैमिक उद्योग हैं, जिनमें ग्लास एवं मिनरल ग्राइंडिंग इकाइयां भी प्रमुखता से शामिल हैं। ये इकाइयां राजस्थान में सफलतापूर्वक चल रही हैं।
- सीमेंट उद्योग: राजस्थान भारत का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य है। 1.3 करोड़ टन प्रति वर्ष सीमेंट उत्पादन के साथ ही राज्य का देश के कुल सीमेंट उत्पादन में 15 फीसदी से अधिक का योगदान है। पिछले कुछ सालों में यह उद्योग तेज विकास का गवाह रहा।
हस्तशिल्प उद्योग : राजस्थान अविवादित तौर पर पूरी दुनिया में अपने हस्तशिल्प उत्पादों के लिए जाना जाता है, जिनमें लकड़ी, धातु, पत्थर, सिरैमिक और वस्त्र से तैयार उत्पाद प्रमुखता से शामिल हैं। इस क्षेत्र में निवेश 2000 करोड़ से अधिक हो चुके हैं। वर्ष 2006-07 के दौरान राज्य से हस्तशिल्प निर्यात करीब 2000 करोड़ रुपय, जो भारत के कुल हस्तशिल्प निर्यात का 20 फीसदी है। - आईटी एवं आईटीईएस उद्योग: पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान में आईटी उद्योग का तीव्र विकास हुआ है। राजस्थान अंग्रेजी भाषी पेशेवरों के विशाल समूह से लैस, जिनमें यहां के 122 इंजीनियरिंग कालेजों से उत्तीर्ण 50 हजार से अधिक इंजीनियर भी शामिल हैं। राज्य के सुविकसित शहरों में सस्ती संचालन सुविधा की उपलब्धता इसे आईटी एवं आईटीईएस इकाइयों के लिए आकर्षक ठिकाने बनाती है। शीर्ष पांच आईटी कंपनियों (जेनपैक्ट, इनफोसिस, ड्यूश वेले, मेटाक्यूबे सॉटवेयर, बैकऑफिस आईटी सॉल्युशन) ने राजस्थान से होने वाले आईटी/आईटीईएस निर्यात में करीब 75 फीसदी का योगदान दिया।
- जैव प्रौद्योगिकी उद्योग: राजस्थान व्यापक जैव विविधता से युक्त समृद्ध जैव संसाधनों वाला राज्य है। कृषि एवं वन उत्पाद राज्य की अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्रोत रहे हैं। इस तरह समेकित वानिकी विकास राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए कच्ची सामग्री की उपलब्धता में सुधार को बढ़ावा देगा।
राजस्थान GK नोट्स