- हमारे देश में संघ एवं राज्य दोनों स्तरों पर संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है। इस प्रणाली में व्यवस्थापिका और कार्यपालिका में घनिष्ठ सहयोगी संबंध रहते हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 154 के अनुसार हमारे राज्य की कार्यपालिका शक्तियाँ राज्यपाल में निहित है तथा उनका प्रयोग वह भी सामान्यतः राष्ट्रपति की भाँति मंत्रिमण्डल के परामर्षानुसार करता है।
संसदीय शासन प्रणाली में दो प्रकार की कार्यपालिका होती है –
- नाममात्र की कार्यपालिका जिसके अंतर्गत राज्यपाल वैधानिक शासक होता है ।
- मंत्रिमंडल राज्य की वास्तविक कार्यपालिका होती है । मंत्रिमंडल का प्रधान मुखमंत्री होता है ।
कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
- राज्यपाल की नियुक्ति सामान्यतः 5 वर्ष हेतु की जाती है, किन्तु राष्ट्रपति उससे पूर्व भी राज्यपाल को हटा सकता है। राज्यपाल पद हेतु कुछ योग्यतायें वांछनीय है जैसे वह भारत का नागरिक हो, 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
- मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद अर्थात् वास्तविक कार्यपालिका- देश में जो कार्य प्रधानमंत्री के है लगभग उसी प्रकार की भूमिका तथा स्थान राज्य में मुख्यमंत्री का होता है। संविधान के अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल को परामर्ष देने हेतु एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होगा।
- सामान्यतः मुख्यमंत्री पद हेतु पृथक से योग्यताएं नहीं रखी है, लेकिन राज्यपाल ऐसे व्यक्ति को ही मुख्यमंत्री की शपथ दिलाता है, जो विधानसभा में बहुमत दल का नेता हो, तथा वह विधान सभा का सदस्य हो, यदि वह विधान सभा का सदस्य नहीं है, तो 6 माह में उसे सदस्यता प्राप्त करनी होती है।
- सम्पूर्ण राज्य का शासन, प्रशासन सर्वो च्च रूप में मुख्यमंत्री द्वारा ही चलता है। मुख्यमंत्री अपने दल के कार्यक्रम, नीतियों को जन आकांक्षाओं के अनुरूप लागू करने हेतु कई कार्य करते है। जिसमें अपनी मंत्रिपरिषद का गठन करना, मंत्रियों को विभाग बांटना, राज्य प्रशासन एवं व्यवस्था सम्बन्धी मंत्रिपरिषद के निर्णयों से राज्यपाल को अवगत कराना एवं आपसी समन्वय रखना |
- राजस्थान में कुल 200 विधानसभा, 25 लोकसभा एवं 10 राज्यसभा की सीटें हैं
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