रासायनिक अभिक्रियाएं तथा रासायनिक समीकरण Chemical Reactions and Chemical Equations

रासायनिक अभिक्रियाओं में पुराने आबन्ध टूटते हैं तथा नये आबन्ध बनते हैं। अभिक्रिया करने लिए प्राय: ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा किसी भी रूप में दी जा सकती है जैसे ऊष्मा, प्रकाश, विद्युत अथवा अभिकर्मक के अणुओं के बीच पर्याप्त संपर्क बनाने के लिए उन्हें हिलाकर यांत्रिक ऊर्जा में जब रासायनिक अभिक्रियाएं होती हैं, तो परमाणुओं की पुनर्व्यवस्था विविध प्रकार से हो सकती है।

दैनिक जीवन में रासायनिक अभिक्रियाओं के अनेक उदाहरण हैं, जैसे भोजन का पाचन, दूध का दही बनना, फलों का पकना, शराब बनाने के लिए अंगूरों का किण्वन, ईडली अथवा ढोकला बनाने के लिए चावल के आटे तथा दाल का किण्वन और भोजन बनाना। यहां तक कि सांस द्वारा भी हम कोशिकाओं में उपस्थित अणुओं तथा वायु की ऑक्सीजन में परस्पर अभिक्रिया के लिए आवश्यक परिस्थिति प्रदान करते हैं। अनेक प्रकार की अभिक्रियाएं होती है, परन्तु इन सभी में परमाणुओं के बीच आबन्धों का टूटना एवं बनना होता रहता है। इस प्रकार रासायनिक अभिक्रियाएं नये पदार्थ उत्पन्न करती हैं।

विभिन्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाएं

एक अभिक्रिया में परमाणुओं की सरल पुनर्व्यवस्था इस प्रकार है-

NH4CNO (अमोनियम साइनाइट) गर्म करने पर NH2CONH2 (यूरिया)

इस अभिक्रिया में अमोनियम साइनेट तथा यूरिया, दोनों के अणु सूत्र एक ही हैं, परन्तु आबन्धों को पुनर्व्यवस्थित किया है। इन दोनों यौगिकों को एक-दूसरे का समावयवी कहा गया है। जर्मनी रसायनज्ञ, वोहलर ने इस अभिक्रिया की खोज की और दिखाया कि कार्बनिक रसायन दूसरे स्रोतों से भी बनाये जा सकते हैं और यह आवश्यक नहीं है कि वे केवल जैव पदार्थों से ही बनाये जाए।

जब कोई अणु छोटे-छोटे भागों में टूटता है, तो वियोजन की क्रिया होती है। जल में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर H2 तथा O2 उत्पन्न होता है। यह विद्युत अपघटन अभिक्रिया, वियोजन अभिक्रिया का एक उदाहरण है (इलेक्ट्रो का अर्थ है विद्युत और lysis का अर्थ है टूटना)।

 

2H2O ——– विद्युत धारा प्रवाहित करने पर → 2H2 + O2

यह ध्यान रहे कि वियोजन अभिक्रिया, संयोजन अभिक्रिया के विपरीत है। हाइड्रोजन गैस को वायु में केवल जलाकर H2 तथा O2 के संयोग द्वारा जल बनाया जा सकता है। संयोजन अभिक्रिया का दूसरा उदाहरण हमारे सामने तब आता है जब हम दीवारों पर चूने से सफेदी करते हैं। चूना को जब पानी में डाला जाता है, तो बुझा हुआ चूना बनता है। कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के साथ धीरे-धीरे अभिक्रिया करके दीवारों पर कैल्सियम कार्बोनेट की पतली परत बना देता है।

CaO + H2O → Ca(OH)2

चूना + जल → बुझा हुआ चूना अथवा कैल्सियम हाइड्राक्साइड

Ca(OH)2 + CO2 → CaCO3+ H2O

कैल्सियम हाइड्राक्साइड + कार्बन डाइऑक्साइड → कैल्सियम + जल कार्बोनेट

रासायनिक सूत्र तथा समीकरण

हम सूत्रों और रासायनिक समीकरणों को अणुओं की सहायता से लिखते हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे बीजगणित में व्यंजक और समीकरण लिखे जाते हैं। वास्तव में सूत्रों तथा समीकरणों का एक निश्चित अर्थ होता है। सोचिए कि सूत्र H2O क्या स्पष्ट करता है।

  1. इसका अर्थ है कि जल के एक अणु में हाइड्रोजन के दो परमाणु तथा ऑक्सीजन का एक परमाणु विद्यमान है।
  2. यह दिखाता है कि इसमें ऑक्सीजन की संयोजकता दी है, जबकि हाइड्रोजन की संयोजकता एक है।
  3. यह स्पष्ट करता है कि जल का अणु द्रव्यमान 18 होता है, जो ऑक्सीजन के एक परमाणु (16) तथा हाइड्रोजन के दो परमाणुओं (2) के द्रव्यमान का योग होता है।
  4. यह बताता है कि यौगिक H2O वैद्युत रूप से आवेशित नहीं है। यह आयन नहीं है बल्कि एक उदासीन अणु है। किसी पदार्थ के रासायनिक सूत्र से यह पता लगता है कि उसमें कौन-कौन से तत्व उपस्थित हैं तथा किस अनुपात में हैं।
  5. सूत्र O2 बताता है कि अभिक्रिया ऑक्सीजन अणुओं के साथ होती है। अक्षर g जो O2 के आगे लिखा गया है, बताता है कि ऑक्सीजन गैसीय अवस्था में है। अक्षर l द्रव के लिये तथा s ठोस अवस्था के लिए लिखा गया है।
  6. यह समीकरण H2+O2→H2O +O के रूप में नही लिखा जाता, क्यों?

तात्विक ऑक्सीजन जिसमें ऑक्सीजन के दो परमाणु होते हैं, तात्विक हाइड्रोजन H2 के साथ अभिक्रिया करती है। जल के प्रत्येक अणु में ऑक्सीजन का एक परमाणु होता है। लेकिन प्रयोगों द्वारा देखा गया है कि इस रासायनिक अभिक्रिया में मुक्त आक्सीजन प्राप्त नहीं होती। इसलिए हम समीकरण को इस प्रकार संतुलित करते हैं कि समीकरण के बाईं ओर उपस्थित तत्वों के परमाणुओं की संख्या, समीकरण के दाई ओर के परमाणुओं की संख्या के बराबर हो।

यदि हमने समीकरण को संतुलित नहीं किया तो हम या तो परमाणुओं को उत्पन्न कर रहे होंगे या उनको खो रहे होंगे। यही कारण है कि H2 को 2H2 के रूप में दिखाया गया है। हाइड्रोजन के 2 अणु आक्सीजन के एक अणु के साथ अभिक्रिया करके जल के दो अणु उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार समीकरण सभी परमाणुओं के प्रति संतुलित हो जाता है।

  1. समीकरण 2H + O → H2O तथा H2 + O → H2O भी संतुलित समीकरण हैं। परन्तु ये समीकरण सही नहीं हैं, क्योंकि सामान्यता ऑक्सीजन और हाइड्रोजन, परमाणु रूप में न होकर अणु रूप में होते हैं।
  2. समीकरण केवल अभिकर्मक और उत्पादों के परमाणुओं की संख्या को ही संतुलित नहीं करता बल्कि उनके द्रव्यमानों को भी संतुलित करता है। 2H2 का अर्थ है हाइड्रोजन के 4 परमाणु जिनका कुल द्रव्यमान 4 है (यह द्रव्यमान परमाणु द्रव्यमान के मात्रक में लिया गया है)। O2 का अर्थ है 2 × 16 = 32 a.m.u atomic mass unit, परमाणु द्रव्यमान मात्रक)। समीकरण के बाईं ओर कुल द्रव्यमान 4 + 32 = 36 a.m.u है। हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन द्वारा मिलकर जल बनाने की रासायनिक अभिक्रिया में ऊष्मा निकलती है। इस उत्सर्जित ऊर्जा को सामान्यतया पृथक रूप से अभिव्यक्त किया जाता है। द्रव्य H2O के प्रत्येक मोल के (18 ग्राम के) बनने में मुक्त (उत्सर्जित) ऊष्मा लगभग 286 किलो जूल होती है। इस अभिक्रिया में वास्तव में 572 किलो जूल ऊष्मा निकलती है, क्योंकि H2O के दो मोल बनते हैं।

समीकरणों को संतुलित करना

किस प्रकार सूत्रों तथा समीकरणों को प्राप्त किया जाता है। हम रासायनिक अभिक्रियाओं को ठीक-ठीक प्रदर्शित कर सकते हैं। इस कार्य के लिए क्या-क्या आवश्यकताएँ होती हैं?

  1. सभी अभिकर्मकों तथा उत्पादों के सही अणु सूत्र।
  2. अभिक्रिया की स्थिति-क्या अभिक्रिया होने में ऊर्जा दी जाती है अथवा अभिक्रिया से ऊर्जा मुक्त होती है?
  3. यह निश्चय कर लेना कि समीकरण संतुलित है या नहीं अर्थात दोनों ओर परमाणुओं की कुल संख्या बराबर रहे, इसको पदार्थ-संतुलन कहते हैं। यह याद रखिए कि रासायनिक अभिक्रियाओं में कोई परमाणु न तो नष्ट होता है और न ही कोई नया परमाणु उत्पन्न होता है। अत: बाईं ओर के परमाणुओं की संख्या, दाई ओर के परमाणुओं की संख्या के बराबर होनी चाहिए। अणुओं की संख्या बदल सकती है, और प्राय: बदल जाती है।
  4. यह निश्चय कर लेना कि आवेश संतुलित हों। समीकरण के दाई तथा बाईं ओर आवेशों की कुल संख्या समान होनी चाहिए। यह इसलिए है क्योंकि हम केवल धन अथवा केवल ऋण आवेश ही उत्पन्न नहीं करते। हम हमेशा उनको युग्मों के रूप में उत्पन्न करते हैं ताकि विद्युत उदासीनता बनी रहे।

 

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