आवृतबीजी Angiosperms

इस उप-प्रभाग के अन्तर्गत उन पौधों को सम्मिलित किया गया है जिनमें बीज सदैव फल के अंदर होते हैं। ये शाक (herbs), झाड़ियाँ (shrubs) तथा वृक्ष (Tree) तीनों प्रकार के होते हैं। आवृतबीजी पौधों के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-

  1. इनमें प्रजनन अंग पुष्प होता है।
  2. इनमें दोहरा निषेचन (Double fertilization) दृष्टिगत होता है।
  3. ये मृदोपजीवी (Saprophyte), परजीवी (Parasite), सहजीवी (Symbiotic), कीटभक्षी (Insectivorous) तथा स्वपोषी (Autotrophs) के रूप में पाए जाते हैं।
  4. ये सामान्यतया स्थलीय पौधे होते हैं, लेकिन कुछ पौधे जल में भी पाये जाते हैं।
  5. इनमें संवहन तंत्र अति विकसित होता है।

वर्गीकरण: आवृतबीजी पौधों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है—

  1. एकबीजपत्री (Monocotyledonae) तथा
  2. द्विबीजपत्री (Dicotyledonae)

एकबीजपत्री के प्रमुख लक्षण-

  1. इनके बीजों में केवल एक बीजपत्र (Cotyledon) उपस्थित होता है।
  2. इनकी जड़े प्रायः अधिक विकसित नहीं होती हैं।
  3. इनके पुष्पों के भाग (Floral parts) तीन या उसके गुणांक होते हैं।
  4. इनके संवहन पूल में कैम्बियम (Cambium) नहीं पाया जाता है।

एकबीजपत्री के कुछ महत्वपूर्ण कुल और पौधे:

कुल का नामप्रमुख पौधों के नाम (वानस्पतिक नाम)
1. लिलीएसी (Liliaceae)लहसुन (Allium sativum), प्याज (Allium cepa) सतावर (Asparagus racemosus) आदि।
2. ग्रेमिनी (Graminae)गेंहूँ (Triticum aestivum), मक्का (Zea mays), चावल (Oryza sativa), गन्ना (Saccharum officinarum), ज्वार (Sorghum vulgare), बाजरा (Pennisetum typhoidenus), बांस (Bambusa arundinaceae) दूब घास (Cynodon dactylon), जौ (Hordeum vulgare) जई (Avena sativa).
3. पाल्मी (Palmae)नारियल (Coccus nucifera), ताड़ (Borassus flabeIIifer), सुपारी (Areca catechu), खजूर (Phoenix dactylifera) आदि।
4. म्यूजेसी (Musaceae)केला (Musa paradisica)

 

 

द्विबीजपत्री के प्रमुख लक्षण:

 

  1. इनके बीजों में दो बीजपत्र पाये जाते हैं।
  2. इनके संवहन पुल में कैम्बियम पाये जाते हैं।
  3. इनके पुष्पों के भाग (Floral parts) चार या पांच के गुणांक में होते हैं।
  4. इनमें द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth) पायी जाती है।
  5. इनकी पत्तियों में जालिकावत शिराविन्यास होता है।
  6. इनमें पाया जाने वाला संवहन बंडल वलयाकार रूप में व्यवस्थित रहता है।
  7. इनका जड़ तंत्र अधिमूल (root cap) एवं उसकी शाखाओं के साथ फैला रहता है।

द्विबीजपत्री के महत्वपूर्ण कुल और पौधे:

कुल का नामपौधों के नाम (वानस्पतिक नाम)
1. क्रूसीफेरी (Cruciferae)मूली (Raphanus sativus), शलगम (Brassica rapa), सरसों (Brassica compestris), फूलगोभी (Brassica oleracea) आदि।
2. मालवेसीकपास (Gossypiumherbaceum), भिण्डी (Hibiscus esculantus), (Malvaceae), गुड़हल (Hibiscus rosa sinensis) आदि।
3. लेग्यूमिनेसी (Leguminaceae)कत्था (Acacia catechu), मटर (Pisum sativum), अरहर (Cajanus cajan), मूंगफली (Arachis hypogaea), सेम (Dolichos Iablab), सोयाबीन (Glycine max), अमलतास (Cassia fistula), गुलमोहर (Delonix regia), इमली (Tamarindus indica), बबूल (Acacia arabica), लाजवंती (Mimosa pudica), अशोक (Saraca indica), शीशम (Delbergiasisoo), चना (Cicerarietinum), मूंग (Phaseolus mungo), नील (Indigofera tinctoria) आदि।
4. कम्पोजिटी (Compositae)सूरजमुखी (Helianthus annus), सलाद (Lactuca sativa), जिनिया (Zinnia elegans), जंगली भंगरा (Tridaxprocumbeans), गुलदाऊदी (Chrysanthemum indicum), गेंदा (Tagetes patula) आदि।
5. रुटेसी (Rutaceae)नींबू (Citrus aurantifolia), संतरा (Citrus reticularia), मुसम्बी (Citrus sinensis) आदि।
6. कुकर बिटेसी 

(Cucurbetaceae)

तरबूजा (Citrullus vulgaris), खरबूजा (Cucumis melo), कद्दू (Cucurbita maxima), परवल (Trichosanthes diocia) आदि।
7. रोजेसी 

(Rosaceae)

सेब (Pyrus malus), नाशपाती (Pyrus communis), गुलाब (Rosa centifolia), रसभरी (Physalis peruviana), आदि।
8. मिरटेसी (Myrtaceae)अमरुद (Psidium guava), यूकेलिप्टस (Eucalyptus globulus), जामुन (Syzygium cumini), मेहंदी (Lawsonia inermis) आदि।
9. अम्वेलीफेरी (Umbelliferae)धनिया (Coriandrum sativum), जीरा (Cuminum cyminum), लौंग (Syzygium aromaticeum), सौंफ (Foeniculum vulgare), गाजर (Daucus carota) आदि।
10. सोलेनेसी (Solanaceae)आलू (Solanum tuberosum), बैंगन (Solanum melongena), लाल मिर्च (Capsicum annum), तम्बाकू (Nicotiana tabaccum), टमाटर (Lycopersicum esculantum), बैलाडोना (Atropa belladona), धतूरा (Datura stramonium) आदि
11. रेननकुलेसी 

(Ranunculaceae)

बटरकप (Ranunculus scleratus), काला जीरा (Nigella sativa)

नोट:

  • आवृत्तबीजी का अर्थ ‘ढका हुआ बीज’ होता है।
  • आवृत्तबीजी (Argiosperm) पादप जगत का सबसे बड़ा समूह है।
  • मनुष्य को अfधकांशr आवश्यकतrआों की पूतिं आवृत्तबीजी पौधों (Angiospermic Plants) से ही होती है।
  • आवृत्तबीजी पौधों में भोजन का संचय या तो भ्रूणपोष (Endosperm) या बीज पत्रों (Cotyledons) में होता है।
  • कुकरबिटेसी को सब्जी कुल कहा जाता है।
  • बेलाडोना एक औषधि है जिसका उपयोग सिरदर्द, निद्रा लाने तथr सिहरन रोकने में होता है। यह एट्रोपा बेलाडोना नामक पौधे की जड़ से प्राप्त होता है।

लौंग के तेल का प्रमुख घटक यूरेनॉल (Lranol) है जो दाँत का दद दूर करने में प्रयुक्त होता है।

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