भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO)
ISRO का Full Form है – Indian Space Research Organization. हिंदी में इसे ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ कहते है।
इसरो की स्थापना डॉक्टर विक्रम साराभाई द्वारा वर्ष 1969 में स्वतंत्रता दिवस के दिन की गई थी। उन्हें भारत के स्पेस प्रोग्राम का जनक कहा जाता है।
इसरो का हेड क्वाटर बेंगालूरू में है और देशभर में इसके कुल 13 सेंटर हैं।
इसरो में लगभग 17 हज़ार वैज्ञानिक काम करते है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कई वैज्ञानिको ने अपना पूरा जीवन इसरो को समर्पित कर दिया और आजीवन विवाह नही करवाया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत का अंतरिक्ष विभाग पहले भारत के परमाणु विभाग के अंर्तगत हुआ करता था, पर अंतरिक्ष विभाग का काम बहुत ज्यादा था और इसलिए वर्ष 1969 में इसे इसरो के नाम से अलग संस्था बना दिया गया।
अक्तूबर 2016 तक इसरो 100 से भी ज्यादा देशी और विदेशी सेटलाइट लांच कर चुका है। विदेशी सेटेलाइटस में कई अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों के भी है। विदेशी सेटेलाइट लांच करने से इसरो को 700 करोड़ रूपए से भी ज्यादा की कमाई हुई है।
चद्रयान-1 अभियान के तहत इसरो ने एक मानवरहित यान को रिसर्च के लिए चांद की कक्षा में भेजा था।
चद्रयान 22 अक्तूबर 2008 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया और चांद तक पहुँचने में इसे करीब 5 दिन लगे और चांद की कक्षा में स्थापित होने के लिए इसे 15 दिन का समय लगा।
वज्ञानिकों का मानना था कि चंद्रयान-1 2 साल तक काम करता रहेगा, परंतु दुर्भाग्य 10 महीने बाद ही अगस्त 2009 को चंद्रयान से संपर्क टूटने के बाद ही इस मिशन का अंत हो गया। पर अच्छी बात यह रही कि इन दस महीनो में ही चंद्रयान ने अपना 95% काम पूरा कर लिया था।
आपको जानकर खुशी होगी कि चंद्रयान-1 की वजह से ही भारत चांद पर पानी खोज़ने वाला पहला देश बन गया है। चंद्रयान ने चांद पर मौजूद चट्टानों पर पानी होने के पुख्ता सबूत भेजे थे जिसे दुनिया की बाकी अंतरिक्ष एजेंसियों ने भी माना।
मगलयान मिशन के तहत इसरो ने 5 नवंबर 2013 को मंगल ग्रह की और एक उपग्रह भेजा था जो 298 दिन की यात्रा के बाद 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया।
मगलयान के मंगल पर पहुंचने के साथ ही भारत पहले ही प्रयास में मंगल में पहुँचने वाला पहला देश बन गया। इससे पहले किसी भी देश का पहला मंगल अभियान कामयाब नही हुआ था।
भारत मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला एशिया का पहला देश भी है क्योंकि इससे पहले चीन और जापान अपने मंगल अभियान में असफल रहे थे।
राकेट वो यान होता है जिससे उपग्रहों को छोड़ा जाता है, इसरो के पास दो प्रमुख राकेट हैं- PSLV और GSLV.
PSLV छोटे आकार के हलके उपग्रहों को छोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। अब तक 70 से ज्यादा उपग्रह PSLV द्वारा छोड़े जा चुके है।
PSLV की सहायता से 28 अप्रैल 2008 को एक साथ 10 उपग्रह छोड़े गए थे और 22 जून 2016 को एक साथ 20 उपग्रह इसने पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए।
GSLV भारी किस्म के उपग्रहो को पृथ्वी से 36 हज़ार किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाता है।