Genome India Mission
मानव जीनोम परियोजना का औपचारिक शुरुआत 1990 में हुई थी। जीनोम किसी भी जीव के DNA में विद्यमान समस्त ‘जीना का अनुक्रम है जीनोम के अध्ययन को ‘जीनोमिक्स’ कहा जाता है।
जीनोम मैपिग की आवश्यकता क्यों? •
- अधिकांश गैर-संचारी रोग, जैसे-मानसिक मंदता (Mental Retardation), कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं हीमोग्लोबिनोपैथी (Haemoglobinopathy) कार्यात्मक जीन में असामान्य DNA म्यूटेशन के कारण होते हैं।
- इन रोगों को आनुवंशिकी के दृष्टिकोण से समझने में जीनोम मैपिंग से सहायता मिलती है।
जीनोम अनुक्रमण ‘
- जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing) के तहत डीएनए अणु के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है।
मुख्य बिन्दु
- इस परियोजना के माध्यम से कैंसर जैसे रोगों के उपचार के लिये नैदानिक परीक्षणों और प्रभावी उपचारों हेतु, अगले पाँच वर्षों में, दो चरणों में 20,000 भारतीय जीनोम की स्कैनिंग (Scanning) करने का विचार है।
- इस परियोजना को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा लागू किया जाना है।