ब्रह्माण्ड एवं सौरमण्डल

ब्रह्माण्ड एवं सौरमण्डल

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सौरमंडल की खोज निकोलस कोपरनिकस ने की। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 8 मिनट 30 सेकण्ड का समय लगता है। सौर परिवार  में कुल 8 ग्रह है। ग्रहों का सूर्य की दूरी के अनुसार क्रम: बुध (Mercury) , शुक्र (Venus) ,  पृथ्वी (Earth) , मंगल (मार्स) , बृहस्पति (Jupiter) , शनि (Saturn) , अरुण (Uranus) , वरुण (Neptune) है। सबसे चमकीला तारा साइरस / Dog Star है।
– टेलिस्कोप का आविष्कार गैलीलियो ने 17 जनवरी 1610 ई में किया।
– कैपलर ने ग्रहों की गति का सिद्धांत दिया था।

सूर्य : – सूर्य में हाइड्रोजन 71% , हीलियम 26.5% पाई जाती है। हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन कहा जाता है। सूर्य का केंद्रीय भाग क्रोड /  ( Core ) कहलाता है। सूर्य की दीप्तिमान सतही वाले भाग को प्रकाशमंडल कहा जाता है। ऊपर की सतह को वर्णमण्डल कहते है। इसकी सतह पर जो काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं , उन्हें सूर्य कलंक / सौर कलंक कहा जाता है।  आन्तरिक / अवान्तर / धरातलीय ग्रह : –  बुध , शुक्र , पृथ्वी , मंगल ग्रह कहलाते है। आंतरिक या धरातलीय ग्रह छोटे और अधिक घनत्व वाले है और इनका निर्माण चट्टानों से हुआ है।

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बुध ग्रह : – सुख समृद्धि एवं सम्पन्नता का देवता बुध ग्रह का कोई भी उपग्रह नही है , जिसे ‘ मर्करी के नाम से जाना जाता है। सूर्य के सबसे नजदीक स्थित है। इसका सबसे विशिष्ट गुण यह है कि इसमें चुम्बकीय क्षेत्रपाया जाना है। बुध ग्रह पर दिन अत्यधिक गर्म एवं रातें अत्यधिक ठंडी होती है ।

  • शुक्र ग्रह : – सुंदरता का देवता , वीनस देवी ( यूरोपीय लोग ) , भौंर व साँझ का तारा शुक्र ग्रह कहलाता है। पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह है। आकार , व्यास , घनत्व में पृथ्वी के समान होने के कारण इसे पृथ्वी की जुड़वा बहन भी कहते है। शुक्र ग्रह का कोई उपग्रह नही है।
  • मंगल ग्रह : – मंगल ग्रह लाल ग्रह तथा देवताओ का ग्रह कहलाता है। मंगल ग्रह पर वायुमंडल का पतला आवरण है , जिसमे नाइट्रोजन एवं आर्गन गैसे मौजूद है। यह ग्रह कक्षातल में 25 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है । इस ग्रह पर पृथ्वी के समान दो ध्रुव पाए जाते है । जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के समान ऋतू परिवर्तन होता है । इस ग्रह पर जल एवं जीवन की संभावना के अवशेष मिले है। मंगल ग्रह पर निक्स ओलंपिया पर्वत स्थित है जो ‘ माउन्ट एवरेस्ट ‘ से 3 गुना अधिक ऊँचाहै।
    ➡ इसके दो उपग्रह है : –
    (1) डिमोस : – सौरमंडल का सबसे छोटा उपग्रह
    (2) फेबोस
  • बृहस्पति ग्रह : – यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसे शीतल ग्रह / देवताओ पर शासन करने वाला ग्रह भी कहा जाता है। यह पीले रंग का ग्रह है। इसके परिभ्रमण काल 9 घण्टे 50 मिनट 30 सैकंड है , जो अन्य ग्रहों में सबसे कम है। इसके 16 उपग्रह है , जिनमे ‘ गेनीमिड ‘ सबसे बड़ा सौरमंडल का उपग्रह है।
  • पृथ्वी ग्रह : – सूर्य की दूरी के अनुसार पृथ्वी तीसरा और आकार के अनुसार पाँचवाँ बड़ा ग्रह है। पृथ्वी ग्रह को जीवंत ग्रह कहा जाता है। पृथ्वी का औसत तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड है। पृथ्वी के लगभग 71 % भाग पर जल पाया जाता है। चंद्रमा की तुलना मे पृथ्वी लगभग 81 गुना बड़ी है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री एवं कक्षा तल पर 66.5 डिग्री पर झुकी हुई है। पृथ्वी की दो गतियां : –
    1. घुर्णन गति / दैनिक गति :-  23 घंटे 56 मिनट 04 सेकण्ड में पूरी करती है। घुर्णन गति के कारण दिन और रात होते है।
    2. परिकर्मण / वार्षिक गति : – 365 दिन 6 घंटे में पूरी करती है। परिक्रमण गति के कारण ऋतुएँ परिवर्तन होती है। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में लगा समय ” सौर वर्ष ” कहलाता है ।
    ➡ भूमध्य रेखा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान  न्यूनतम होता है , जिसके कारण वस्तु का भार भी न्यूनतम होता है । इसलिए किसी वस्तु का उछाल अधिकतम होता है , जबकि ध्रुवो पर न्यूनतम होता है। पृथ्वी के वायुमंडल में सर्वाधिक मात्रा नाइट्रोजन गैंस 78.03% , ऑक्सीजन 20.8% , कार्बन-डाई-ऑक्साइड 0.3 – 0.4%होती है। पृथ्वी के वायुमंडल में सर्वाधिक मात्रा में पाई जाने वाली अक्रिय गैंस “ऑर्गन ” होती है।
  • शनि ग्रह : – शनि आकार में दुसरा सबसे बड़ा ग्रह है  इसे “कुण्डली वाला ग्रह ” (जिसके चारों और कई वलय या रिंग बनी हुई है) तथा ” कृषि का देवता ” भी कहते है। शनि का सबसे बड़ा उपग्रह ” टिटोन ” है , जो आकार में बुध ग्रह के बराबर है। शनि ग्रह का उपग्रह ” फोबे “इस ग्रह की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है। शनि के उपग्रह ” टाइटन ” पर पृथ्वी की तरह सघन वायुमंडल है। वहां भी नदियांऔर जलाशय है और धरातल पृथ्वी जैसा ही है। उसके वायुमंडल की प्रमुख गैंस नाइट्रोजन है। यहां जीवन की संभावना है या नही। इसका पता लगाने में वैज्ञानिज अभी प्रयासरत है।
  • अरुण ग्रह : – हरे रंग का ग्रह , लेटा हुआ ग्रह तथा ” स्वर्ग का देवता ” कहलाने वाला यह ग्रह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इस ग्रह की खोज 13 मार्च , 1781 ई. में ‘ सर विलियम हरसल ‘द्वारा की गयी थी। अरुण ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जो एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक अपनी परिक्रमा कक्ष में सूर्य के सामने रहता है।
  • वरुण ग्रह : – आकार की दृष्टि से चौथे बड़े इस ग्रह की खोज 1846 ई. में एड्म्स और लेवेरियर ने की थी। यह हरे रंग का ग्रह है । इसे ससमुन्द्र का देवता / जलीय ग्रह (भारतीय ज्योतिषशास्त्री) भी कहा जाता है।

* विशेषताएं : –

  1. बुध : – सूर्य की परिक्रमा – 88 दिन में
    : – अपने अक्ष पर घुर्णन – 59 दिन में
    : – उपग्रह की संख्या – 0
  2. शुक्र : – सूर्य की एक परिक्रमा – 225 दिन में
    : – अपने अक्ष और घुर्णन – 243 दिन में
    : – उपग्रह की संख्या – 0
  3. पृथ्वी : – सूर्य की एक परिक्रमा – 365 दिन 6 घंटे में
    : – अपने अक्ष पर घुर्णन – 01 दिन में
    : -उपग्रह की संख्या – 01 (चंद्रमा)
  4. मंगल : – सूर्य की एक परिक्रमा – 687 दिन में
    : – अपने अक्ष पर घुर्णन – 01 दिन में
    : – उपग्रह की संख्या – 02

* बाहरी / पार्थिव ग्रह : –  बृहस्पति , शनि , अरुण , वरुण कहलाते है । ( जो ग्रह आकार में बड़े होने के कारण ‘ ग्रेट प्लेनेटस ‘ कहलाते है )
* बाह्य ग्रह बड़े एवं कम घनत्व वाले है , इनका निर्माण गैस और तरल पदार्थों से हुआ है ।

  1. बृहस्पति : – सूर्य की एक परिक्रमा – 11 वर्ष 11 माह में
    : – अपने अक्ष पर घुर्णन – 09 घंटे , 56 मिनट में
    : – उपग्रह की संख्या -16
  2. शनि : – सूर्य की एक परिक्रमा – 29 वर्ष , 5 माह में
    : – अपने अक्ष पर घुर्णन – 10 घंटे 40 मिनट में
    : – उपग्रह की संख्या – 18
  3. अरुण : – सूर्य की एक परिक्रमा- 84 वर्ष मे
    : – अपने अक्ष पर घुर्णन – 17 घंटे 14 मिनट में
    : – उपग्रह की संख्या – 17
  4. वरुण : – सूर्य की एक परिक्रमा – 164 वर्ष में
    : – अपने अक्ष पर घुर्णन – 16 घंटे 7 मिनटमें
    : – उपग्रह की संख्या – 08
    ➡  शुक्र व अरुण ग्रह पश्चिम से पूर्व / दक्षिणावर्त की और चक्कर लगाते है , जबकि अन्य सभी ग्रह पूर्व से पश्चिम की और चक्कर लगाते है ।
    ➡  प्लेटो ग्रह को जिसे प्राक सम्मलेन , 2006 को बौने ग्रह करार दिया Underworld का देवता माना जाता है।

Q & A

➡ आधुनिक भूगोल के पिता अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट व रिटर को कहा जाता है ।
➡ भूगोल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग यूनानी विद्वान इरेटोस्थेनिज ने किया ।
➡ परन्तु भूगोल पर सबसे अधिक कार्य करने वाला भूगोलवेत्ता हिकेटियस था ।

➡ भूगोल का पिता हिकेटियस को कहते है ।

➡ भारत में दिखने वाले सात तारो के समूह को सप्तर्षि मंडल के नाम से जाना जाता है।
➡ ग्रीक ग्रन्थों के अनुसार इनके नाम – अल्का , बीटा , गामा , डेल्टा , एटा , एपिसिलोन  व जेंटा है ।
➡ फ़्रांस में इसे सॉसपैन (हत्थे वाली ढेगची) , ब्रिटेन में इसे खेत जुताई वाला हल (Plaugh) , और यूनान में इसे स्मल बियर के नाम से जाना जाता है ।
➡ सप्तर्षि जो अर्सा मेजर या ग्रेट बीयर का भाग है।
➡ ध्रुव तारे से उत्तर दिशा का निर्धारण किया जाता है।
➡ लाखो तारो का विशाल समूह ‘आकाशगंगा ‘ का निर्माण करता है।
➡ असंख्य आकाशगंगाओ के समूह को ‘ ब्रह्माण्ड ‘कहते है ।
➡ तारो के छोटे समूह को ‘ नक्षत्रमंडल ‘ कहते है ।
➡ खगोलीय पिंडो के बीच की दुरी मापने के लिए प्रकाश वर्ष का उपयोग होता है ।
➡ प्रकाश वर्ष ‘ दूरी ‘ का मात्रक है।
➡ एक वर्ष की अवधि में प्रकाश तीन लाख किमी प्रति सेकण्ड की गति से जितनी दूरी तक जा सकता है , उसी दूरी को एक ‘ प्रकाश वर्ष ‘ कहा जाता है ।
➡ ब्रह्माण्ड का सर्वमान्य सिद्धांत महाविस्फोटक सिद्धांत या बिग – बैंग सिद्धान्त है ।
➡ पृथ्वी सहित सौर परिवार ‘ मन्दाकिनी या ऐरावत पथ ‘ नामक आकाशगंगा में स्थित है ।
➡ सर्वाधिक आकर्षक एवं निराला तारा पुच्छल तारा या धूमकेतु है जो बर्फ , धूल , छोरी चट्टानों और गैंसीय पदार्थो से बना है ।

➡ धूमकेतु का सिर हमेशा सूर्य की तरफ एवं पूँछ विपरीत दिशा में होती है।
➡ धूमकेतु के चमकीले शीर्ष को कोमा (coma)तथा पूंछ को टेल (Tail)कहते है ।
➡ सबसे चर्चित पुच्छल तारा ” हैली ” है जो 76वर्ष बाद दिखाई देता है। इसे अंतिम बार 1986 में देखा गया था अब यह पुनः 2062 में दिखाई देगा।
➡ सबसे बड़ी आकाश गंगा ऐरोमिडा है।
➡ सबसे छोटी आकाश गंगा आस्ट्रेसिस है ।
➡ आकाश गंगा का आकार सर्पिलाकार है ।
➡ हमारी पृथ्वी जिस आकाश गंगा में विद्यमान है , उसे दुग्ध मेखला / मन्दाकिनी / ऐरावत पथ कहा जाता है ।

 

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