राजस्थान की जलवायु {Rajasthan Climate} राजस्थान GK अध्ययन नोट्स

  • राजस्थान की जलवायु में मुख्यतया तीन ऋतुओं का स्थान है: ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून), वर्षा ऋतु (मध्य जून से सितम्बर) एवं शीत ऋतु (अक्टूबर से फरवरी)
  • राजस्थान की जलवायु विविधता लिए हुए है, एक ओर अति शुष्क तो दूसरी ओर आर्द्र क्षेत्र हैं। आर्द्र क्षेत्रों में दक्षिण-पूर्व व पूर्वी ज़िले आते हैं। राजस्थान को तापमान और वर्षा की मात्रा के आधार पर पाँच जलवायु प्रदेशों में बाँटा जा सकता है: 1. शुष्क जलवायु प्रदेश, 2. अर्ध-शुष्क जलवायु प्रदेश, 3. उप-आद्र जलवायु प्रदेश, 4. आद्र जलवायु प्रदेश एवं 5. अति-आद्र जलवायु प्रदेश।
  • शुष्क जलवायु प्रदेश: इस प्रदेश में शुष्क उष्ण मरुस्थलीय जलवायु दशाएँ पाई जाती हैं। इसके अंतर्गत जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर का पश्चिमी भाग, गंगानगर का दक्षिणी भाग और जोधपुर की फलौदी तहसील का पश्चिमी भाग आता है। यहां वर्षा का औसत 10 से 20 से०मी० है। इस क्षेत्र में वनस्पति का आभाव पाया जाता है। कुछ भागों में जल प्राप्ति से विशेष प्रकार की घास ऊग जाती है।
  • अर्द्ध-शुष्क जलवायु प्रदेश: इस प्रदेश के अंतर्गत गंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर जिलों के पश्चिमी भागों के अतिरिक्त सभी भाग चुरु, सीकर, झुंझुनू, नागौर, पाली व जालौर के पश्चिमी भाग सम्मिलित हैं। इस प्रदेश का वर्षा का औसत 20 से०मी० से 40 से०मी० तक रहता है। इस क्षेत्र में बबूल के वृक्ष तथा कंटीली झाड़ियां पाई जाती हैं।
  • उप-आर्द्र जलवायु प्रदेश: इस प्रदेश के अंतर्गत अलवर, जयपुर, अजमेर जिले, झुंझुनू, सीकर, पाली व जालौर जिलों के पूर्वी भाग तथा टौंक, भीलवाड़ा व सिरोही के उत्तरी-पश्चिम भाग आते है। इस प्रदेश का वर्षा का औसत 40 से०मी० से 60 से०मी० तक रहता है।
  • आर्द्र जलवायु प्रदेश: इसके अंतर्गत भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, दक्षिणी-पूर्वी टौंक तथा उत्तरी चित्तौड़गढ़ के जिले सम्मिसित हैं। यहां वर्षा का औसत 60 से०मी० से 80 से०मी० के मध्य रहता है। यहां नीम, शीशम, पीपल, जामुन आदि वृक्ष पाए जाते है।
  • अति आर्द्र जलवायु प्रदेश: इसके अंतर्गत दक्षिण-पूर्वी कोटा, झालावाड़, बांसवाड़ा जिले, उदयपुर जिले का दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा माउण्ट आबू के समीपवर्ती भू-भाग सम्मिलित हैं। यहां वर्षा का औसत 80 से०मी० से 150 से०मी० पाया जाता है। माउंट आबू में राज्य की सर्वाधिक वर्षा अंकित की जाती है। प्राकृतिक वनस्पति की दृष्टि से यह राज्य का सर्वाधिक संपन्न क्षेत्र है।
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