- जीण माता राजस्थान के सीकर जिले में स्थित धार्मिक महत्त्व का एक गाँव है। यह सीकर से 29किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
- यहाँ पर जीणमाता (शक्ति की देवी) एक प्राचीन मन्दिर स्थित है। जीणमाता का यह पवित्र मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना माना जाता है।
- कलयुग में शक्ति का अवतार माता जीण भवानी का भव्य धाम जयपुर से से लगभग 115 किलोमीटर दूर सीकर ज़िले (Sikar District) के सुरम्य अरावली पहाड़ियों (रेवासा पहाडियों) में स्थित है।
- लोक मान्यताओं के अनुसार जीण का जन्म चौहान परिवार में हुआ। उनके भाई का नाम हर्ष था जो बहुत खुशी से रहते थे। एक बार जीण का अपनी भाभी के साथ विवाद हो गया और इसी विवाद के चलते जीन और हर्ष में नाराजगी हो गयी। इसके बाद जीण आरावली के ‘काजल शिखर’ पर पहुँच कर तपस्या करने लगीं।
- मान्यताओं के अनुसार इसी प्रभाव से वो बाद में देवी रूप में परिवर्तित हुई। यह मंदिर चूना पत्थर और संगमरमर से बना हुआ है। यह मंदिर आठवीं सदी में निर्मित हुआ था।
- जीण माता मंदिर में हर वर्ष चैत्र सुदी एकम् से नवमी (नवरात्रा में) व आसोज सुदी एकम् से नवमी में दो विशाल मेले लगते है जिनमे देश भर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। भक्तों की मण्डली द्विवार्षिक नवरात्रि समारोह (हर साल चैत्र और अश्विन/आसोज माह में शुक्ल पक्ष की नवरात्रि मेले के समय) के दौरान एक बहुत रंगीन नज़र हो जाती है।
- राजस्थानी लोक साहित्य में जीणमाता का गीत सबसे लम्बा है। इस गीत को कनफटे जोगी केसरिया कपड़े पहन कर, माथे पर सिन्दूर लगाकर, डमरू एवं सारंगी पर गाते हैं। यह गीत करुण रस से ओतप्रोत है।
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